दोस्ती में कहाँ कोई उसूल होता है

सच्ची दोस्ती में कहाँ कोई उसूल होता है
यार गरीब हो या अमीर बेशक़ क़ुबूल होता है

गरज़ नहीं मुझे कि वो खूबसूरत है या बदसूरत
दोस्ती में कहाँ कोई लायक कोई फ़िज़ूल होता है

आँख नम होने से पहले हाल ए दिल जान ले
वही दोस्त हक़ ए दोस्ती का महसूल होता है..!!

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