तेशा ब दस्त आ मेरे आज़र तराश दे
बेडोल है बहुत मेरा पैकर तराश दे,
गर क़ुमरियों के नग़्मे गिराँबार हैं तुझे
इस रुत में सारे सर्व सनोबर तराश दे,
यूँ उड़ गई है बू ए वफ़ा उस की ज़ात से
जिस तरह कोई शाख़ ए गुल ए तर तराश दे,
उड़ना अगर है बाद ए मुख़ालिफ़ का ध्यान रख
ऐसा न हो कि तेज़ हवा पर तराश दे,
क्या मोम के बदन की हक़ीक़त तेरे लिए
तू चाहे तो निगाहों से पत्थर तराश दे..!!
~अशफ़ाक़ अंजुम
























