ज़िन्दगी से एक दिन मौसम खफ़ा हो जाएँगे…
ज़िन्दगी से एक दिन मौसम खफ़ा हो जाएँगे रंग ए गुल और बू ए गुल …
ज़िन्दगी से एक दिन मौसम खफ़ा हो जाएँगे रंग ए गुल और बू ए गुल …
कभी बहार का मौसम नया दिखाई दे गुलाब बातें करें और सबा दिखाई दे, शब …
ज़िंदगी दर्द की कहानी है चश्म ए अंजुम में भी तो पानी है, बेनियाज़ाना सुन …
अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं ‘फ़राज़’ अब ज़रा लहजा बदल के देखते …
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता, तमाम शहर …
ज़रा सी देर थी बस एक दिया जलाना था और इसके बाद फ़क़त आँधियों को …
डूब कर भी न पड़ा फ़र्क़ गिराँ जानी में मैं हूँ पत्थर की तरह बहते …
दी है वहशत तो ये वहशत ही मुसलसल हो जाए रक़्स करते हुए अतराफ़ में …
गर्म रफ़्तार है तेरी ये पता देते हैं दम बदम लौ तेरे नक़्श ए कफ़ …
कोई नई चोट फिर से खाओ ! उदास लोगो कहा था किसने कि मुस्कुराओ ! …