ज़िंदगी दर्द की कहानी है चश्म ए अंजुम में भी तो पानी है…

ज़िंदगी दर्द की कहानी है
चश्म ए अंजुम में भी तो पानी है,

बेनियाज़ाना सुन लिया ग़म ए दिल
मेहरबानी है मेहरबानी है,

वो भला मेरी बात क्या माने
उसने अपनी भी बात मानी है ?

शोला ए दिल है ये कि शोला ए साज़
या तेरी शोला ए जवानी है,

वो कभी रंग वो कभी ख़ुशबू
गाह गुल गाह रातरानी है,

बन के मासूम सबको ताड़ गई
आँख उसकी बड़ी सियानी है,

आपबीती कहो कि जगबीती
हर कहानी मेरी कहानी है,

दोनों आलम हैं जिसके ज़ेर ए नगीं
दिल उसी ग़म की राजधानी है,

हम तो ख़ुश हैं तेरी जफ़ा पर भी
बेसबब तेरी सरगिरानी है,

सर ब सर ये फ़राज़ ए मह्र ओ क़मर
तेरी उठती हुई जवानी है,

आज भी सुन रहे हैं क़िस्सा ए इश्क़
गो कहानी बहुत पुरानी है,

ज़ब्त कीजिए तो दिल है अँगारा
और अगर रोइए तो पानी है,

है ठिकाना ये दर ही उसका भी
दिल भी तेरा ही आस्तानी है,

उनसे ऐसे में जो न हो जाए
नौजवानी है नौजवानी है,

दिल मेरा और ये ग़म ए दुनियाँ
क्या तेरे ग़म की पासबानी है,

गर्दिश ए चश्म ए साक़ी ए दौराँ
दौर ए अफ़लाक का भी पानी है,

ऐ लब ए नाज़ क्या हैं वो असरार
ख़ामोशी जिनकी तर्जुमानी है,

मयकदों के भी होश उड़ने लगे
क्या तेरी आँख की जवानी है,

ख़ुदकुशी पर है आज आमादा
अरे ये दुनिया बड़ी दिवानी है,

कोई इज़हार ए ना ख़ुशी भी नहीं
बदगुमानी सी बदगुमानी है,

मुझसे कहता था कल फ़रिश्ता ए इश्क़
ज़िंदगी हिज्र की कहानी है,

बहर ए हस्ती भी जिसमें खो जाए
बूँद में भी वो बेकरानी है,

मिल गए ख़ाक में तेरे उश्शाक़
ये भी एक अम्र ए आसमानी है,

ज़िंदगी इंतिज़ार है तेरा
हम ने एक बात आज जानी है,

क्यूँ न हो ग़म से ही क़िमाश उसका
हुस्न तसवीर ए शादमानी है,

सूनी दुनिया में अब तो मैं हूँ और
मातम ए इश्क़ ए आँ जहानी है,

कुछ न पूछो ‘फ़िराक़’ अहद ए शबाब
रात है नींद है और कहानी है..!!

~फ़िराक गोरखपुरी

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