अचानक दिलरुबा मौसम का दिल आज़ार हो जाना
दुआ आसाँ नहीं रहना सुख़न दुश्वार हो जाना,
तुम्हें देखें निगाहें और तुम को ही नहीं देखें
मोहब्बत के सभी रिश्तों का यूँ नादार हो जाना,
अभी तो बेनियाज़ी में तख़ातुब की सी ख़ुशबू थी
हमें अच्छा लगा था दर्द का दिलदार हो जाना,
अगर सच इतना ज़ालिम है तो हमसे झूट ही बोलो
हमें आता है पतझड़ के दिनों गुलबार हो जाना,
अभी कुछ अन-कहे अल्फ़ाज़ भी हैं कुंज ए मिज़्गाँ में
अगर तुम इस तरफ़ आओ सबा रफ़्तार हो जाना,
हवा तो हमसफ़र ठहरी समझ में किस तरह आए
हवाओं का हमारी राह में दीवार हो जाना,
अभी तो सिलसिला अपना ज़मीं से आसमाँ तक था
अभी देखा था रातों का सहर आसार हो जाना,
हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है
कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना..!!
~अदा जाफ़री