भूल पाते हम नहीं गुज़रा ज़माना चाहकर भी
या खुदा नहीं ऐसे किसी को तड़पाना चाहिए,
संगदिलो में भी अता कर रहमदिली या ख़ुदा
इश्क़ में रस्म ए उल्फत निभाना आना चाहिए,
या ख़ुदा हो मयस्सर रहमत तेरी इतनी कि
वक्त कैसा भी हो सबका गुज़र जाना चाहिए..!!
भूल पाते हम नहीं गुज़रा ज़माना चाहकर भी
या खुदा नहीं ऐसे किसी को तड़पाना चाहिए,
संगदिलो में भी अता कर रहमदिली या ख़ुदा
इश्क़ में रस्म ए उल्फत निभाना आना चाहिए,
या ख़ुदा हो मयस्सर रहमत तेरी इतनी कि
वक्त कैसा भी हो सबका गुज़र जाना चाहिए..!!