फिर झूम उठा सावन फिर काली घटा छाई…
फिर झूम उठा सावन फिर काली घटा छाई फिर दर्द ने करवट ली फिर याद …
फिर झूम उठा सावन फिर काली घटा छाई फिर दर्द ने करवट ली फिर याद …
चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए ये रूप ये सिंगार मुक़म्मल तो कीजिए, रहने …
किसी तरंग किसी सर ख़ुशी में रहता था ये कल की बात है दिल ज़िन्दगी …
ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी मेरे ज़िम्मे है अधूरे से कई काम …
कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी हमें भुलाना भी चाहो तो भूला ना पाओगी, कोई …
हिज़्र में खून रुलाते हो, कहाँ होते हो ? लौट कर क्यूँ नहीं आते हो, …
यूँ उम्र भर रहे बेताब देखने के लिये किसी कँवल का हंसीं ख़ाब देखने के …
तेरे बदन से जो छू कर इधर भी आता है मिसाल-ए-रंग वो झोंका नज़र भी …
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो आँख सच बोलती हैं प्यार छुपाया …
उसे कहना बिछड़ने से मुहब्बत तो नहीं मरती बिछड़ जाना मुहब्बत की सदाकत की अलामत …