कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी…

कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी
हमें भुलाना भी चाहो तो भूला ना पाओगी,

कोई पूछेगा बे वजह मुस्कुराने का सबब
गर बताना चाहोगी भी तो बता न पाओगी,

भरी महफ़िल में रहोगी सहेलियों के साथ
पर ख़ुद को हमें ही तलाश करती पाओगी,

फ़ासले चाहे कितने भी हो हमारे दरमियाँ
हम तुम्हे याद आएँगे, तुम हमें याद आओगी..!!

Leave a Reply

%d bloggers like this: