झूठी हँसी तेरा मुस्कुराना झूठा…
झूठी हँसी तेरा मुस्कुराना झूठा यार तेरा तो हर एक बहाना झूठा, कैसे ऐतबार करूँ फिर से तुझ
झूठी हँसी तेरा मुस्कुराना झूठा यार तेरा तो हर एक बहाना झूठा, कैसे ऐतबार करूँ फिर से तुझ
ज़िंदगी तुझ को भुलाया है बहुत दिन हमने वक़्त ख़्वाबों में गँवाया है बहुत दिन हमने, अब ये
अगर सफ़र में मेरे साथ मेरा यार चले तवाफ़ करता हुआ मौसम ए बहार चले, लगा के वक़्त
ले गया दिल में दबा कर राज़ कोई पानियों पे लिख गया आवाज़ कोई, बाँध कर मेरे परो
सता लें हमको दिलचस्पी जो है उनकी सताने में हमारा क्या वो हो जाएँगे रुस्वा ख़ुद ज़माने में,
अश्क ओ खूं घुलते है तब दीदा ए तर बनती है दास्ताँ इश्क़ में मरने से अमर बनती
सभी कहें मेरे गम ख़्वार के अलावा भी कोई तो बात करो यार के अलावा भी, बहुत से
हर मुलाक़ात में लगते हैं वो बेगाने से फ़ाएदा क्या है भला ऐसों के याराने से, कुछ जो
उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले हैं हमसे मत बोलिए हम लोग ग़ज़ल वाले हैं, कैसे शफ़्फ़ाफ़
तू ग़ज़ल बन के उतर बात मुकम्मल हो जाए मुंतज़िर दिल की मुनाजात मुकम्मल हो जाए, उम्र भर