ले गया दिल में दबा कर राज़ कोई…

ले गया दिल में दबा कर राज़ कोई
पानियों पे लिख गया आवाज़ कोई,

बाँध कर मेरे परो में मुश्किलों को
हौसलों को दे गया परवाज़ कोई,

नाम से जिसके है ये पहचान मेरी
मुझमें उस जैसा भी हो अंदाज़ कोई,

जिनका तारा था वो आँखे खो गई है
अब कहाँ करता है मुझ पे नाज़ कोई,

रोज़ उसको अपने अंदर खोजता हूँ
रोज़ आना दिल से एक आवाज़ कोई..!!

~आलोक श्रीवास्तव

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