तू मुझ को जो इस शहर में लाया नहीं होता…
तू मुझ को जो इस शहर में लाया नहीं होता मैं बे सर ओ सामाँ …
तू मुझ को जो इस शहर में लाया नहीं होता मैं बे सर ओ सामाँ …
राहें वही खड़ी थी मुसाफ़िर भटक गया एक लफ्ज़ आते आते लबो तक अटक गया, …
ये सच है कि हम लोग बहुत आसानी में रहें पर नाम वही कर गए …
वो मुहब्बत गई वो फ़साने गए जो खज़ाने थे अपने खज़ाने गए, चाहतो का वो …
दिल जब घबराये तो ख़ुद को एक क़िस्सा सुना देना ज़िन्दगी कितनी भी मुश्किल क्यूँ …
तस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी है खैरात जो देता है वही लूटता भी …
यही कम नहीं है ज़िन्दगी के लिए यहाँ चैन मिल जाए दो घड़ी के लिए, …
घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर जानेगा अब भी तू न मेरा …
क्या आँधियाँ बड़ी आने वाली है क्या कुछ बुरा होने वाला है ? इन्सान पहले …