यही कम नहीं है ज़िन्दगी के लिए…

यही कम नहीं है ज़िन्दगी के लिए
यहाँ चैन मिल जाए दो घड़ी के लिए,

दिल ए ज़ार यहाँ कौन है तेरा ?
तू क्यूँ तड़पता है यूँ किसी के लिए,

कितने सामाँ कर लिए पैदा हमने
इतनी छोटी सी ज़िन्दगी के लिए,

अब तो ऐसा घेरा है गम ए दुनियाँ ने
कि लब तरस ही गए हँसी के लिए..!!

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