ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी…
ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी मेरे ज़िम्मे है अधूरे से कई काम …
ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी मेरे ज़िम्मे है अधूरे से कई काम …
बेलौस हँसी दिखाना, दिल से निभाना हर रिश्ता यहाँ मुस्कान पर अपने पराये सभी का …
अश्क आँखों में छुपाते हुए थक जाता हूँ बोझ पानी का उठाते हुए थक जाता …
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं सामान सौ बरस के हैं कल की ख़बर …
वही किस्से है वही बात पुरानी अपनी कौन सुनता है भला राम कहानी अपनी, सितमगर …
नहीं डरता मैं काँटो से मगर फूलो से डरता हूँ चुभन दे जाएँ जो दिल …
मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है ज़िन्दगी से हारे हुए …