उर्दू है मेरा नाम मैं ख़ुसरो की पहेली…
उर्दू है मेरा नाम मैं ख़ुसरो की पहेली मैं मीर की हमराज़ हूँ ग़ालिब की …
उर्दू है मेरा नाम मैं ख़ुसरो की पहेली मैं मीर की हमराज़ हूँ ग़ालिब की …
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मेरा ज़वाल नहीं मेरे बदन पे किसी दूसरे की शाल …
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है ये वही ख़ुदा …
अब जो बिछडे हैं, तो बिछडने की शिकायत कैसी मौत के दरिया में उतरे तो …
तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे हम तो वो हैं तेरे चेहरे से …
तहरीर से वर्ना मेरी क्या हो नहीं सकता एक तू है जो लफ़्ज़ों में अदा …
जो पत्थरो में जुबां ढूँढे हम वो चीज है दोस्त है मर्ज़ ख़्वाब सजाना तो …
तेरे में अब तो रही बात वो नहीं है दोस्त हुई ये अपनी मुलाक़ात वो …
हिज़्र ए गम क़ुर्ब में तन्हाई रुलाती होगी याद मेरी भी उसे फिर तो सताती …
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है …