उसे हम पा ही लेते बस ज़रा सा और चलते तो…
उसे हम पा ही लेते बस ज़रा सा और चलते तो सफ़र आसान था लेकिन …
उसे हम पा ही लेते बस ज़रा सा और चलते तो सफ़र आसान था लेकिन …
किसी के वायदे पे क्यों ऐतबार हमने किया ? न आने वालो का क्यों इंतज़ार …
क़र्ज़ जाँ का उतारने के लिए मैं जीया ख़ुद को मारने के लिए, मुझे …
थी जिसकी जुस्तज़ू वो हकीक़त नहीं मिली इन बस्तियों में हमको रफ़ाक़त नहीं मिली, अबतक …
कौन कहता है शरारत से तुम्हे देखते है जान ए मन हम तो मुहब्बत से …
दोस्तों से रसाई सोचेंगे सबसे हो आशनाई सोचेंगे, सोचती चाहे जो रहे दुनियाँ हम तो …
तेरे में अब तो रही बात वो नहीं है दोस्त हुई ये अपनी मुलाक़ात वो …
तुम्हे न फिर से सताएँगे हम, ख़ुदा हाफिज़ कि अब न लौट के आएँगे हम, …
दिल ने जब जब तुझ पे इंहिसार किया तुमने ख़ुद को और भी बे ऐतबार …
नादान न बन इतना तू हर सवाल का जवाब जानता है मेरी नींदे चुराने वाले …