जो तेरे प्यार के दरियाँ कशीद हो जाएँ…
जो तेरे प्यार के दरियाँ कशीद हो जाएँ मेरी हयात के मंज़र ज़दीद हो जाएँ, …
जो तेरे प्यार के दरियाँ कशीद हो जाएँ मेरी हयात के मंज़र ज़दीद हो जाएँ, …
सितारों को जो छू कर देखते है सिकंदर है मुक़द्दर देखते है, समन्दर में हमें …
सब के होते हुए लगता है कि घर ख़ाली है ये तकल्लुफ़ है कि जज़्बात …
खिड़कियाँ खोल रहा था कि हवा आएगी क्या ख़बर थी कि चिरागों को निगल जाएगी, …
मुलाकातें हमारी बेइरादा क्यों नहीं होतीं ? मुहब्बत की गुजर कहीं कुशादा क्यों नहीं होतीं …
मेरे दिल के अरमां रहे रात जलते रहे सब करवट पे करवट बदलते, यूँ हारी …
कुछ इस तरह से इबादत खफ़ा हुई हमसे नमाज़ ए इश्क बहुत कम अदा हुई …
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ हम भी न डूब जाएँ कहीं …