ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया…
ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया मगर ये दाग़ क्यूँ कर ऐ …
ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया मगर ये दाग़ क्यूँ कर ऐ …
ख़ुद को न ऐ बशर कभी क़िस्मत पे छोड़ तू दरिया की तेज धार को …
सुना कर हाल क़िस्मत आज़मा कर लौट आए हैं उन्हें कुछ और बेगाना बना कर …
हाथ उठे जो दुआ को, तो दिल ऐसे रखा ख्वाहिशे बाद में रखी तुझे पहले …
जब लहज़े बदल जाएँ तो वज़ाहते कैसी नयी मयस्सर हो जाएँ तो पुरानी चाहतें कैसी …
इश्क़ में जान से गुज़रते है गुज़रने वाले मौत की राह नहीं देखते मरने वाले, …
ग़ज़ल का हुस्न है और गीत का शबाब है वो नशा है जिसमे सुखन का …
रात पिघली है तेरे सुरमई आँचल की तरह चाँद निकला है तुझे ढूँढने पागल की …
फिर झूम उठा सावन फिर काली घटा छाई फिर दर्द ने करवट ली फिर याद …
ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी मेरे ज़िम्मे है अधूरे से कई काम …