अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं…
अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं कुछ शेर फकत उनको सुनाने के लिए …
अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं कुछ शेर फकत उनको सुनाने के लिए …
ये इश्क़ पे सब दुनियाँ वाले बेकार की बातें करते है पायल के ग़मों का …
शिकवा भी ज़फ़ा का कैसे करे एक नाज़ुक सी दुश्वारी है आगाज़ ए वफ़ा ख़ुद …
हिज़्र ए गम क़ुर्ब में तन्हाई रुलाती होगी याद मेरी भी उसे फिर तो सताती …
किसी की आह सुनते ही जो फ़ौरन काँप जाते है वही इंसानियत के दर्द में …
मुहब्बत आज़माती है, मुझे तुम याद आते हो जुदाई अब सताती है, मुझे तुम याद …
हमसे क़ीमत तो ये पूरी ही लिया करती है ज़िन्दगी ख़्वाब अधूरे ही दिया करती …
बड़ी क़दीम रिवायत है ये सताने की करो कुछ और ही तदबीर आज़माने की, कभी …
जिसे तुम प्यार समझे थे वो कारोबार था हमदम यहाँ सब अपने मतलब में मुहब्बत …