सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको
जो दरीचा भी खुले तू नज़र आए मुझको,
सदियों का रत जगा मेरी रातों में आ गया
मैं एक हसीन शख़्स की बातों में आ गया,
जब तस्सवुर मेरा चुपके से तुझे छू आए
देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए,
गुस्ताख हवाओं की शिकायत न किया कर
उड़ जाए दुपट्टा तो खनक ओढ़ लिया कर,
तुम पूछो और में न बताउ ऐसे तो हालात नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं,
रात के सन्नाटे में हमने क्या क्या धोखे खाए हैं
अपना ही जब दिल धड़का तो हम समझे वो आए हैं..!!
~क़तील शिफ़ाई