हर रिश्ता यहाँ बस चार दिन की कहानी है

हर रिश्ता यहाँ बस चार दिन की कहानी है
अंज़ाम ए वफ़ा आँखों से बहता हुआ पानी है,

उफ़्फ़ ये इश्क़ के किस्से ये दोस्ती के नग्मे
रेत की दीवारें है एक दिन तो ढह जानी है,

लुटाओ जो लुटा सको मुस्कुराहटे तुम यहाँ
उधार की ज़िन्दगी और साँसे आनी जानी है,

पानी पर खींची लकीरें है या ये तक़दीरें है
ना बनती कभी न रहती कोई निशानी है,

हर रिश्ता यहाँ बस चार दिन की कहानी है
अंज़ाम ए वफ़ा आँखों से बहता हुआ पानी है..!!

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