आइने का मुँह भी हैरत से खुला रह जाएगा

आइने का मुँह भी हैरत से खुला रह जाएगा
जो भी देखेगा तुझे वो देखता रह जाएगा,

हम ने सब कुछ तज दिया तेरी रिफ़ाक़त के लिए
तुझ से बिछड़े तो हमारे पास क्या रह जाएगा ?

मिल सकेंगे किस तरह ख़्वाबों में हम जब हिज्र से
नींद हो जाएगी रुख़्सत रतजगा रह जाएगा,

हम अगर तेरी रज़ा हासिल नहीं कर पाएँगे
उम्र भर हम से हमारा दिल ख़फ़ा रह जाएगा,

जाने वालों की कमी पूरी कभी होती नहीं
आने वाले आएँगे फिर भी ख़ला रह जाएगा,

मुर्तइश आवाज़ की लहरें रहेंगी देर तक
साज़ चुप हो जाएँगे सैल ए सदा रह जाएगा,

हीर को गुलज़ार ले जाएँगे खेड़े एक दिन
बाँसुरी पर तू धुनें ही छेड़ता रह जाएगा..!!

~गुलज़ार बुख़ारी

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