क्या क्या लोग गुज़र जाते हैं रंग बिरंगी कारों में
क्या क्या लोग गुज़र जाते हैं रंग बिरंगी कारों में दिल को थाम के रह जाते हैं दिल
क्या क्या लोग गुज़र जाते हैं रंग बिरंगी कारों में दिल को थाम के रह जाते हैं दिल
तेरे माथे पे जब तक बल रहा है उजाला आँख से ओझल रहा है, समाते क्या नज़र में
हम ने दिल से तुझे सदा माना तू बड़ा था तुझे बड़ा माना, मीर ओ ग़ालिब के बाद
तू रंग है ग़ुबार हैं तेरी गली के लोग तो फूल है शरार हैं तेरी गली के लोग,
शहर वीराँ उदास हैं गलियाँ रहगुज़ारों से उठ रहा है धुआँ, आतिश ए ग़म में जल रहे हैं
नज़र नज़र में लिए तेरा प्यार फिरते हैं मिसाल ए मौज ए नसीम ए बहार फिरते हैं, तेरे
बहुत रौशन है शाम ए ग़म हमारी किसी की याद है हमदम हमारी, ग़लत है ला तअल्लुक़ हैं
कम पुराना बहुत नया था फ़िराक़ एक अजब रम्ज़ आशना था फ़िराक़, दूर वो कब हुआ निगाहों से
हम आवारा गाँव गाँव बस्ती बस्ती फिरने वाले हम से प्रीत बढ़ा कर कोई मुफ़्त में क्यूँ ग़म
यूँ वो ज़ुल्मत से रहा दस्त ओ गरेबाँ यारो उस से लर्ज़ां थे बहुत शब के निगहबाँ यारो,