यहाँ तकरार ए साअत के सिवा क्या रह गया है
यहाँ तकरार ए साअत के सिवा क्या रह गया है मुसलसल एक हालत के सिवा क्या रह गया
यहाँ तकरार ए साअत के सिवा क्या रह गया है मुसलसल एक हालत के सिवा क्या रह गया
ख़्वाब में कोई मुझ को आस दिलाने बैठा था जागा तो मैं ख़ुद अपने ही सिरहाने बैठा था,
हमें नहीं आते ये कर्तब नए ज़माने वाले हम तो सीधे लोग हैं यारो वही पुराने वाले, उन
सभी ये पूछते रहते हैं क्या गुम हो गया है बता दूँ? मुझ से ख़ुद अपना पता गुम
अब आ भी जाओ, बहुत दिन हुए मिले हुए भी भुला ही देंगे अगर दिल में कुछ गिले
उदास बस आदतन हूँ कुछ भी हुआ नहीं है यक़ीन मानो किसी से कोई गिला नहीं है, अधेड़
ग़मों में कुछ कमी या कुछ इज़ाफ़ा कर रहे हैं समझ में कुछ नहीं आता कि हम क्या
एक ख़्वाब नींद का था सबब, जो नहीं रहा उस का क़लक़ है ऐसा कि मैं सो नहीं
अजब है रंग ए चमन जा ब जा उदासी है महक उदासी है बाद ए सबा उदासी है,
कोई मिला तो किसी और की कमी हुई है सो दिल ने बे तलबी इख़्तियार की हुई है,