मेरे ख़्वाबों में यादों मे हो सिर्फ तुम
और ज़हन ओ ख़्यालों में हो सिर्फ तुम,
कुछ नहीं है तलब मेरी इस के सिवा
रब से हर दम सवालों में सिर्फ तुम,
शब की ज़ुल्मत में भी है तसव्वुर तेरा
दिन के रंगीन उजालों में हो सिर्फ तुम,
मेरे ख़्वाबों में यादों मे हो सिर्फ तुम
और ज़हन ओ ख़्यालों में हो सिर्फ तुम,
कुछ नहीं है तलब मेरी इस के सिवा
रब से हर दम सवालों में सिर्फ तुम,
शब की ज़ुल्मत में भी है तसव्वुर तेरा
दिन के रंगीन उजालों में हो सिर्फ तुम,
कोरा कोरा है हर इक वरक़ ज़ीस्त का
आरज़ू की किताबों में हों सिर्फ तुम,
शब की तारीकियों में है देखा तुम्हे
इन चमकते सितारों में हो सिर्फ तुम,
कैसे भूले भला तेरी यादें नसीम
दिल के रंगीन ख़्वाबों में हो सिर्फ तुम,
~मुहम्मद हनीफ़ अंसारी (नसीम बनारसी)