खो न जाए कहीं हर ख़्वाब सदाओं की तरह
ज़िंदगी महव-ए-तजस्सुस है हवाओं की तरह
टूट जाए न कहीं शीशा-ए-पैमान-ए-वफ़ा
वक़्त बे-रहम है पत्थर के ख़ुदाओं की तरह
हम से भी पूछो सुलगते हुए मौसम की कसक
हम भी हर दश्त पे बरसे हैं घटाओं की तरह
बारहा ये हुआ जा कर तेरे दरवाज़े तक
हम पलट आए हैं नाकाम दुआओं की तरह
कभी माइल-ब-रिफ़ाक़त कभी माइल-ब-गुरेज़
ज़िंदगी हम से मिली तेरी अदाओं की तरह..!!