जाने क्यूँ बर्बाद होना चाहता है

जाने क्यूँ बर्बाद होना चाहता है
सूरत ए फ़रहाद होना चाहता है,

ज़ेहन से आख़िर में अब थक हार कर
मेरा दिल आबाद होना चाहता है,

आसमाँ वाले ये सुन कर हँस पड़े
आदमी आज़ाद होना चाहता है,

हर जगह तामीर कर के एक इरम
हर कोई शद्दाद होना चाहता है,

सानेहा ये है कि एक बुलबुल का दिल
दामन ए सय्याद होना चाहता है,

हो के मुंसिफ़ तख़्त पे अब जल्वा-गर
वाक़िफ़ ए रूदाद होना चाहता है..!!

~अश्क अलमास

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