हाल ए दिल पे ही शायर बुनते है गज़ल…

हाल ए दिल पे ही शायर बुनते है गज़ल
जो बात दिल की समझते है वो सुनते है गज़ल,

लिख दे जो मचल कर दास्ताँ ए दिल कोई
कहने वाले यहाँ उसे ही तो कहते है गज़ल,

दर्द जब अश्को से बयाँ न होने पाए
ऐसे हालात को बयाँ करने को लिखते है गज़ल,

क्या करना किसी बदगुमाँ दिल पे मर के
अब मरते नहीं किसी पे हम जीते है गज़ल,

कोई भी नशा रहता ही नहीं दो पल भी
अब तो दीवान ए मीर से दीवाने पीते है गज़ल..!!

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