दिल सोज़ से खाली है, निगह पाक नहीं है

दिल सोज़ से खाली है, निगह पाक नहीं है
फिर इसमें अजब क्या कि तू बेबाक नहीं है,

है ज़ौक ए तजल्ली भी इसी ख़ाक में पिनहां
ग़ाफ़िल ! तू निरा साहब ए अदराक नहीं है,

वोह आंख कि है सुरमा ए अफ़रंग से रौशन
पुरकार ओ सुख़नसाज़ है, नमनाक नहीं है,

क्या सूफ़ी व मुल्ला को ख़बर मेरे जुनूं की
उनका सर ए दामन भी अभी चाक नहीं है,

कब तक रहे महकूमी ए अंजुम में मेरी ख़ाक
या मैं नहीं या ग़र्दिश ए अफ़लाक नहीं है,

बिजली हूं नज़र कोह ए बयाबां पे है मेरी
मेरे लिए शायां ए ख़श ओ ख़शाक नहीं है,

आलम है फ़कत मोमिन ए जांबाज़ की मीरास
मोमिन नहीं जो साहब ए लौलाक नहीं है..!!

~अल्लामा इक़बाल

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