अफ़लाक से आता है नालों का जवाब…

अफ़लाक से आता है नालों का जवाब आख़िर
करते हैं ख़िताब आख़िर उठते हैं हिजाब आख़िर,

अहवाल ए मुहब्बत में कुछ फ़रक नहीं ऐसा
सोज़ ओ तब ओ ताब अव्वल, सोज़ ओ तब ओ ताब आख़िर,

मैं तुझको बताता हूँ तकदीर ए उमस कया है
शमशीर ए सनां अव्वल, ताऊस ओ रबाब आख़िर,

मैख़ाना ए यूरोप के दसतूर निराले हैं
लाते हैं सुरूर अव्वल, देते हैं शराब आख़िर,

क्या दबदबा ए नादिर, क्या शौकत ए तैमूरी
हो जाते हैं सब दफ़तर गरके मये नाब आख़िर,

था ज़ब्त बहुत मुश्किल इस मील मुआनी का
कह डाले कलन्दर ने इसरार ए किताब आख़िर..!!

~अल्लामा इक़बाल

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