आँसू हो, उदासी हो और ख़ामोश चीत्कार हो
गज़ल कहनी हो तो पहले किसी से प्यार हो,
कलम लिखती हो हर दुकानदार ग़ालिब होता
गज़ल के लिए ज़रूरी है कि इश्क़ में हार हो,
पहले चाँद मिले फिर बादल छीन ले जाए उसे
गज़ल की अगवानी के लिए बस अंधकार हो,
जो आदमी ख़ुश है वो गज़ल कह नहीं सकता
तुम ख़ुद देख लो ग़ालिब हो कि गुलज़ार हो,
हज़ारों लब वाह वाह कहे जा रहे थे
दिल तोड़ने वाले के लिए दिल में आभार हो..!!