दर्द हो, दुःख हो तो दवा कीजिए
फट पड़े आसमां तो क्या कीजिए ?
नहीं इलाज़ ए गम हिज़्र ए यार क्या कीजिए ?
तड़प रहा है दिल ए बेक़रार क्या कीजिए ?
एक सितम हो तो जान दे दीजिए
हो सितम पर सितम तो क्या कीजिए ?
हाल सुन कर मेरा वो यूँ बोले
और दिल दीजिए, और वफ़ा कीजिए,
इश्क़ को दीजिए जुनूँ में फ़रोग
दर्द से ही दर्द की बस दवा कीजिए,
रास आए न गर कशाकिश ए ज़ीस्त
दिल ए महजूं को फिर मुब्तिला कीजिए..!!