देखोगे हमें रोज़ मगर बात न होगी
एक शहर में रह कर भी मुलाक़ात न होगी,
कहना है जो कह डालो अभी वक़्त है बाक़ी
कल हम तो होंगें मगर सूरत ए हालात न होगी,
जो पूछना है तुमको अभी पूछ लो वरना
कल शहर में फिर रस्म ए सवालात न होगी,
दिन इतने होंगें तवील हिज्र के लोगो
तड़पोगे सर ए शाम मगर रात न होगी,
ये सोच के भी दिल तड़प उठता है
बिछड़ेंगे इस तरह कि कभी मुलाक़ात न होगी..!!