जान ओ दिल हम उन्ही पे निसार करते है…

जान ओ दिल हम उन्ही पे निसार करते है
हाँ है इक़रार सिर्फ उन्हें ही प्यार करते है,

बंद हो या खुली हो ये मेरी आँखे
हर लम्हा बस उन्ही का ही दीदार करते है,

महफ़िल कोई भी हो, कैसी भी हो
हर जगह, हर सिम्त ज़िक्र ए दिलदार करते है,

तर्क ए ताअल्लुक़ कर के भी उन्होंने देखा है
आशिक़ फिर भी मिलने का इसरार करते है,

शराब का सा नशा है उनकी आँखों में
फिर भी डूब के उनमे हम ख़ुद को बीमार करते है..??

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