चलो चलके मनाया जाए उसको
गले से फिर लगाया जाए उसको,
सियासत आदमी को बाँटती है
ये सच अब तो बताया जाए उसको,
वो चेहरा हो कि कोई ख़्वाब मीठा
निगाहों में बसाया जाए उसको,
बहुत ख़ामोश हो बच्चा जो कोई
न तन्हा छोड़ जाया जाए उसको,
परिंदे पर शिकारी की नज़र है
अभी कुछ पल उड़ाया जाए उसको,
कहाँ महफ़ूज़ आख़िर रह सकेगा
वो इंसा है बताया जाए उसको,
बहुत नज़दीक रहता है मेरे वो
ज़रा सा आज़माया जाए उसको..!!
~लक्ष्मण गुप्त
अक़्ल बड़ी है या फिर भालू दानिश वाले ग़ौर करें
➤ आप इन्हें भी पढ़ सकते हैं






























1 thought on “चलो चलके मनाया जाए उसको”