ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी
ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी फिर कहाँ से बीच में मस्ज़िद ओ मंदिर …
ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी फिर कहाँ से बीच में मस्ज़िद ओ मंदिर …
भरोसा कैसे करे कोई अब तिज़ारत के हवालो का ? न रहा सत्ता का यकीं …
रंगों की आड़ में खुनी खेल, ये इंसानियत क्या जाने ? हरा, भगवा में डूबे …
बात करते है यहाँ क़तरे भी समन्दर की तरह अब लोग ईमान बदलते है कैलेंडर …
भीतर भीतर आग भरी है बाहर बाहर पानी है तेरी मेरी, मेरी तेरी सब की …
खून में डूबी सियासत नहीं देखी जाती हमसे अब देश की हालत नहीं देखी जाती, …
दरिन्दे खून बहने का इंतज़ार करेंगे भरे पेट वाले अब भूखो पे वार करेंगे, वतन …
ज़मी सूखी है और पानी के भी लाले है इन्सान ही आज इन्सान के निवाले …
क्या आँधियाँ बड़ी आने वाली है क्या कुछ बुरा होने वाला है ? इन्सान पहले …
देसों में सब से अच्छा हिन्दोस्तान मेरा रू ए ज़मीं पे जन्नत, जन्नत निशान मेरा, …