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Life Poetry

हिसार-ए-दीद में रोईदगी मालूम होती है…

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हिसार-ए-दीद में रोईदगी मालूम होती हैतो क्यूँ अंदेशा-ए-तिश्ना-लबी मालूम होती है, तुम्हारी गुफ़्तुगू से आस की ख़ुश्बू छलकती …

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तुमको बेलौस प्यार करता हूँ….

तुमको बेलौस प्यार करता

हर वक़्त इंतज़ार करता हूँतुमको बेलौस प्यार करता हूँ, पर दिल में रखता हूँ बताता नहींप्यार कब आशकार …

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मतलब परस्तो को क्या पता कि दोस्ती क्या है…

Bazmeshayari_512X512

मतलब परस्तो को क्या पता कि दोस्ती क्या हैगुज़र गई है जो मुश्किलो में वो ज़िन्दगी क्या है, …

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मुक़द्दर का चमकता सितारा हो भी सकता है…

Bazmeshayari_512X512

मुक़द्दर का चमकता सितारा हो भी सकता हैमुझे तक़दीर का शायद इशारा हो भी सकता है, मिलावट झूठ …

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एक मैं और इतने लाखों सिलसिलों के सामने…

Bazmeshayari_512X512

एक मैं और इतने लाखों सिलसिलों के सामनेएक सौत-ए-गुंग जैसे गुम्बदों के सामने, मिटते जाते नक़्श दूद-ए-दम की …

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इक मसाफ़त पाँव शल करती हुई सी ख़्वाब में…

Bazmeshayari_512X512

इक मसाफ़त पाँव शल करती हुई सी ख़्वाब मेंइक सफ़र गहरा मुसलसल ज़र्दी-ए-महताब में, तेज़ है बू-ए-शगूफ़ा हाए …

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एक नगर के नक़्श भुला दूँ एक नगर ईजाद करूँ…

Bazmeshayari_512X512

एक नगर के नक़्श भुला दूँ एक नगर ईजाद करूँएक तरफ़ ख़ामोशी कर दूँ एक तरफ़ आबाद करूँ, …

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इक तेज़ तीर था कि लगा और निकल गया…

Bazmeshayari_512X512

इक तेज़ तीर था कि लगा और निकल गयामारी जो चीख़ रेल ने जंगल दहल गया, सोया हुआ …

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ग़ैरों से मिल के ही सही बे-बाक तो हुआ…

Bazmeshayari_512X512

ग़ैरों से मिल के ही सही बे-बाक तो हुआबारे वो शोख़ पहले से चालाक तो हुआ, जी ख़ुश …

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चादर की इज्ज़त करता हूँ, और परदे को मानता हूँ..

Bazmeshayari_512X512

चादर की इज्ज़त करता हूँऔर परदे को मानता हूँ, हर परदा परदा नहीं होताइतना मैं भी जानता हूँ, …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

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हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने