मुक़द्दर का चमकता सितारा हो भी सकता है
मुझे तक़दीर का शायद इशारा हो भी सकता है,
मिलावट झूठ की ना कर सदाक़त की तिज़ारत में
अगर ऐसा करोगे तो ख़सारा हो भी सकता है,
किसी के भी इशारे पर ये दिल तो अब नहीं चलता
मगर ये एक इशारे पर तुम्हारा हो भी सकता है,
वो ज़र्रा है मगर उसकी चमक तो आसमां तक है
सहारा तुम अगर दे दो वो तारा हो भी सकता है,
दिल ए मुज़तर को समझाया है अब मैंने यही कह कर
तख्य्यल और तसव्वुर में गुज़ारा हो भी सकता है,
अभी भी वक़्त है आदिल सभी को मुत्तहिद कर लो
जो मौका सामने है वो हमारा हो भी सकता है..!!