बारिश की बरसती बूँदों ने जब दस्तक दी दरवाज़े पर
महसूस हुआ तुम आये हो, अंदाज़ तुम्हारे जैसा था,
हवा के हलके झोंके की जब आहट पाई खिड़की पर
महसूस हुआ तुम गुज़रे हो, एहसास तुम्हारे जैसा था,
मैंने जो गिरती बूँदों को जब रोकना चाहा हाथो में
एक सर्द सा फिर एहसास हुआ, वो लम्स तुम्हारे जैसा था,
तन्हा मैं चला जब बारिश में तब एक झोंके ने साथ दिया
मैं समझा तुम हो साथ मेरे, वो एहसास तुम्हारे जैसा था,
फिर रुक सी गई वो बारिश भी बाक़ी न रही एक आहट भी
मैं समझा मुझे तुम छोड़ गए, वो अंदाज़ तुम्हारे जैसा था..!!