गमों का लुत्फ़ उठाया है खुशी…

गमों का लुत्फ़ उठाया है खुशी का जाम बाँधा है
तलाश ए दर्द से मंज़िल का हर एक गाम बाँधा है,

तवाफ़ ए आरज़ू मुमकिन नहीं अब गैर की हमदम
मेरे जज़्बों ने तो फ़क़त तेरे नाम का एहराम बाँधा है,

कहीं पर शोख़ जुमलों ने सुकूँ छिना है लोगो का
कहीं पर ख़मोश चीख़ों ने कोई कोहराम बाँधा है,

गुमाँ के वस्त में इमकान होने से ज़रा पहले
वफ़ा के ज़ायचे में हमने इश्क़ का अंजाम बाँधा है,

वो लम्हा जिसके सीने पर उदासी राख़ मिलती है
उसी की रौशनी से अब वक़्त ने इल्हाम बाँधा है,

तेरी फ़ितरत में ये सहरा बदोशी यूं ही नहीं नवाब
तेरी वहशत से क़ुदरत ने कोई इनआम बाँधा है॥

Leave a Reply

Eid Special Dresses for women