एक पल के लिए एक घड़ी के लिए

एक पल के लिए एक घड़ी के लिए
वक़्त रुकता ही नहीं किसी के लिए,

रात कितनी भी काली हो तारीक़ हो
एक दीया ही बहुत है रौशनी के लिए,

साज़ ओ आवाज़ और शायरी ही नहीं
ख़ून ए दिल भी चाहिए नगमगी के लिए,

फ़ितनागर फ़ितनागर ही है चारो तरफ
बस कोई मूसा ही नहीं सामरी के लिए,

हिचकियाँ सिसकियाँ अश्क आह फुगाँ
हम छुपाते ही रहे है आप ही के लिए,

ज़िंदगी की हक़ीक़त करे क्या बयां
है मुसलसल जहद हर किसी के लिए,

हम तो दिल वाले है दिल की सुनते है बस
मंतकीं ही चाहिए मंतकीं के लिए॥

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