तू ने देखा है कभी एक नज़र शाम के बाद

तूने देखा है कभी एक नज़र शाम के बाद
कितने चुपचाप से लगते हैं शजर शाम के बाद,

इतने चुप चाप कि रस्ते भी रहेंगे ला इल्म
छोड़ जाएँगे किसी रोज़ नगर शाम के बाद,

मैं ने ऐसे ही गुनह तेरी जुदाई में किए
जैसे तूफ़ाँ में कोई छोड़ दे घर शाम के बाद,

शाम से पहले वो मस्त अपनी उड़ानों में रहा
जिस के हाथों में थे टूटे हुए पर शाम के बाद,

रात बीती तो गिने आबले और फिर सोचा
कौन था बाइस ए आग़ाज़ ए सफ़र शाम के बाद,

तू है सूरज तुझे मालूम कहाँ रात का दुख
तू किसी रोज़ मेरे घर में उतर शाम के बाद,

लौट आए न किसी रोज़ वो आवारा मिज़ाज
खोल रखते हैं इसी आस पे दर शाम के बाद..!!

~फ़रहत अब्बास शाह

Leave a Reply

Eid Special Dresses for women