खंज़र से करो बात न तलवार से पूछो

खंज़र से करो बात न तलवार से पूछो
मैं क़त्ल हुआ कैसे मेरे यार से पूछो,

फर्ज़ अपना मसीहा ने अदा कर दिया लेकिन
किस तरह कटी रात ये बीमार से पूछो,

कुछ भूल हुई है तो सज़ा भी कोई होगी
सब कुछ मैं बता दूँगा ज़रा प्यार से पूछो,

आँखों ने तो चुप रह के भी रुदाद सुना दी
क्यूँ खुल न सके ये लब इज़हार से पूछो,

रौनक है मेरे घर में तसव्वुर ही से जिस के
वो कौन था ये इन दर ओ दीवार से पूछो..!!

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