शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते है…

शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते है
इतने समझौतों पे जीते है कि मर जाते है,

हम तो बेनाम इरादों के मुसाफ़िर ठहरे
कुछ पता हो तो बताये कि किधर जाते है,

घर की गिरती हुई दीवार है हमसे अच्छी
रास्ता चलते हुए लोग ठहर जाते है,

एक जुदाई का वो लम्हा कि जो मरता ही नहीं
लोग कहते थे सभी वक़्त गुज़र जाते है,

फिर वही तल्खी हालात मुक़द्दर ठहरी
नशे कैसे भी हो कुछ दिन में उतर जाते है..!!

~वसीम बरेलवी

Leave a Reply

Eid Special Dresses for women