ज़ीस्त उनवान तेरे होने का

ज़ीस्त उनवान तेरे होने का
दिल को ईमान तेरे होने का,

मुझ को हर सम्त ले के जाता है
एक इम्कान तेरे होने का,

आ गया वक़्त मेरे बाद आख़िर
अब परेशान तेरे होने का,

आँख मंज़र बनाती रहती है
यानी सामान तेरे होने का,

मेरा होना भी एक पहलू है
हाँ मेरी जान तेरे होने का..!!

~अज़हर नवाज़

संबंधित अश'आर | गज़लें

Leave a Reply