वो दिखी थी आज ख़्वाब में मुझे
चेहरा उनका गुलाब जैसा था,
पड़ी जो नज़र तो झुकी न पलक
वो देखने में माहताब जैसे था,
सादगी तो उनकी पूछो ही ना
वो बरअक्स चौदहवी के चाँद जैसा था..!!
वो दिखी थी आज ख़्वाब में मुझे
चेहरा उनका गुलाब जैसा था,
पड़ी जो नज़र तो झुकी न पलक
वो देखने में माहताब जैसे था,
सादगी तो उनकी पूछो ही ना
वो बरअक्स चौदहवी के चाँद जैसा था..!!