वो दौर और था वो महबूबा और थी…

वो दौर और था वो महबूबा और थी
जिनके आशिको को इश्क़ में मुक़ाम मिला है

ये दौर और है ये महबूबा और है
जिनके आशिको को फ़क़त इल्ज़ाम मिला है,

लिखना मेरी मज़ार के खुतबे पे ये हुरुफ़
मरहूम को किसी के चाहने का इनाम मिला है..!!

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