दुनियाँ कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है…
दुनियाँ कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है परदे के पीछे कोई न कोई ज़रूर …
दुनियाँ कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है परदे के पीछे कोई न कोई ज़रूर …
बिखरे बिखरे सहमे सहमे रोज़ ओ शब देखेगा कौन लोग तेरे जुर्म देखेंगे सबब देखेगा …
ज़रीदे में छपी है एक ग़ज़ल दीवान जैसा है ग़ज़ल का फ़न अभी भी रेत …
ज़िन्दगी बस एक ये लम्हा मुझे भी भा गया आज बेटे के बदन पर कोट …
समझता खूब है वो भी बयान की कीमत चुका रहा है जो अब भी ज़ुबान …
ज़िन्दगी दी है तो जीने का हुनर भी देना पाँव बख्शे है तो तौफ़ीक ए …
काँटे ही चुभन दे ज़रूरी तो नहीं फूल भी नश्तर चभोते है, बारिश ही भिगोए …
तनाव में जब आ जाए तो धागे टूट जाते है ज़रा सी बात पर पुराने …
दुनियाँ जिसे कहते है जादू का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए …
कोई दर्द कोई ख़ुशी कोई अरमान अब नहीं ज़िस्म तो है मगर जान अब नहीं, …