वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है किसी और को वो दिया नहीं..
वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है किसी और को वो दिया नहीं, वो जो …
वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है किसी और को वो दिया नहीं, वो जो …
तेरी आँखों के दरीचे से गुज़ारे जाते तो मेरे ख़्वाब यूँ बे मौत न मारे …
बाग़ पा कर ख़फ़क़ानी ये डराता है मुझे साया-ए-शाख़-ए-गुल अफ़ई नज़र आता है मुझे, जौहर-ए-तेग़ …
क़यामत है कि सुन लैला का दश्त-ए-क़ैस में आना तअ’ज्जुब से वो बोला यूँ भी …
तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो मुझ को भी पूछते रहो तो …
नहीं कि मुझ को क़यामत का ए’तिक़ाद नहीं शब-ए-फ़िराक़ से रोज़-ए-जज़ा ज़ियाद नहीं, कोई कहे …
नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच अगर शराब नहीं इंतिज़ार-ए-साग़र खींच, कमाल-ए-गर्मी-ए-सई-ए-तलाश-ए-दीद न पूछ ब-रंग-ए-ख़ार …
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता डुबोया मुझ को …
चलो सागर ए इश्क़ का किनारा ढूँढे डूबने वालो के लिए सहारा ढूँढे, यूँ भी …
कभी लफ्ज़ भूल जाऊँ कभी बात भूल जाऊँ तुझे इस क़दर चाहूँ कि अपनी ज़ात …