कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी…
कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी हमें भुलाना भी चाहो तो भूला ना पाओगी, कोई …
कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी हमें भुलाना भी चाहो तो भूला ना पाओगी, कोई …
हिज़्र में खून रुलाते हो, कहाँ होते हो ? लौट कर क्यूँ नहीं आते हो, …
एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी गलियों गलियों मुझसे मिलने आये …
उसे कहना बिछड़ने से मुहब्बत तो नहीं मरती बिछड़ जाना मुहब्बत की सदाकत की अलामत …
तेरी आँखों के दरीचे से गुज़ारे जाते तो मेरे ख़्वाब यूँ बे मौत न मारे …
कभी लफ्ज़ भूल जाऊँ कभी बात भूल जाऊँ तुझे इस क़दर चाहूँ कि अपनी ज़ात …