नादान न बन इतना तू हर सवाल का जवाब जानता है…
नादान न बन इतना तू हर सवाल का जवाब जानता है मेरी नींदे चुराने वाले तू मेरा हर
नादान न बन इतना तू हर सवाल का जवाब जानता है मेरी नींदे चुराने वाले तू मेरा हर
बहुत गुमान था मौसम शनास होने का वही बहाना बना है उदास होने का, बदन को काढ़ लिया
बहुत कठिन ही सही मगर किया जाए अना से तर्क ए अना तक सफ़र किया जाए, जब अपनी
एक वा’दा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं वर्ना इन तारों भरी रातों में क्या होता नहीं,
तेरी तरफ से कोई भी पयाम आया नहीं दुआ तो दूर है अबतक सलाम आया नहीं, मुझे तो
तुम्हारी सोच, तुम्हारे गुमाँ से बाहर हम खड़े हुए है सफ ए दोस्तां से बाहर हम, हमें ही
मुहब्बत आज़माती है, मुझे तुम याद आते हो जुदाई अब सताती है, मुझे तुम याद आते हो, मुहब्बत
गम ए वफ़ा को पस ए पुश्त डालना होगा खटक रहा है जो काँटा निकालना होगा, फ़कीर ए
गुलाब चाँदनी रातों पे वार आये हम तुम्हारे होंठों का सदका उतार आये हम, वो एक झील थी
हुई न खत्म तेरी रह गुज़ार क्या करते तेरे हिसार से ख़ुद को फ़रार क्या करते ? सफ़ीना